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श्वेताश्वतरोपनिषद वाक्य

उच्चारण: [ shevaashevteropenised ]

उदाहरण वाक्य

  1. इसलिए श्वेताश्वतरोपनिषद में वृक्षों को साक्षात बृह्म के सदृश्य बताया गया है-वृक्ष इवस्तब्धों दिवि तिष्ठात्येकः।
  2. श्वेताश्वतरोपनिषद के छठे अध्याय में ऋषि कहते हैं कि यह जो ब्रह्माण्ड है वह ब्रह्म की महिमा है.
  3. श्वेताश्वतरोपनिषद के पहले अध्यय के आठवें मंत्र में कहा गया है कि संसार जीव, माया और तीसरा ब्रह्म से युक्त है।
  4. श्वेताश्वतरोपनिषद के पहले अध्याय का नवमां मंत्र कहता है कि, एक वह है जो अज और एक हम भी हैं जो अज हैं।
  5. श्वेताश्वतरोपनिषद के पांचवें एवं छठे अध्याय में परब्रह्म की विलक्षणता, विद्या-अविद्या तथा जीवों के कर्म अनुसार उन्हें प्राप्त होने वाले फलों को बताया गया है.
  6. श्वेताश्वतरोपनिषद (पृष्ट ४ २ १) हिरण्यगर्भ:-हिरण्यगर्भ ब्रह्मा को प्रत्येक सर्ग के आदि में सब प्रकार के ज्ञानो से पुष्ट करते है.
  7. रुद्र की मूर्ति को ' श्वेताश्वतरोपनिषद ' [1] में ' अघोरा ' या ' मंगलमयी ' कहा गया है और उनका ' अघोरमंत्र ' भी प्रसिद्ध है।
  8. छान्दोग्य उपनिषद, श्वेताश्वतरोपनिषद, मुण्डकोपनिषद आदि में विष्णु, शिव, रुद्र, अच्युत, नारायण, सूर्य आदि की भक्ति और उपासना के पर्याप्त संकेत पाये जाते हैं।
  9. श्वेताश्वतरोपनिषद के तृतीय और चतुर्थ अध्याय में सृष्टि की उत्पत्ति, उसके विकास एवं संचालन स्थिति और विलय में समर्थ परमात्मा की शक्ति की सर्वव्यापकता को उल्लेखित किया गया है.
  10. श्वेताश्वतरोपनिषद का अध्याय 2 गीता के अध्याय 6 की भांति योग प्रक्रिया प्राणायाम-आसन आदि कैसे किए जाएँ यही बताता है, चरमयोग पर तो उपनिषदों का एक-एक मन्त्र ही समर्पित है।
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  1. श्वेताभ
  2. श्वेताम्बर
  3. श्वेताम्बर आगम
  4. श्वेताम्बर तेरापन्थ
  5. श्वेताश्वतर उपनिषद
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