शैलेंद्र सागर वाक्य
उच्चारण: [ shailenedr saagar ]
उदाहरण वाक्य
- हंस ने छब्बीसवें साल में क़दम रखते हुए जो पहला अंक निकाला है, उसमें हंस और साहित्यिक पत्रिकाओं पर अशोक वाजपेयी, रवींद्र कालिया, जनसत्ता के कार्यकारी संपादक ओम थानवी, पंकज बिष्ट, अखिलेश और शैलेंद्र सागर के लेख छपे हैं.
- जनसत्ता 12 मई, 2013: सुपरिचित कथाकार शैलेंद्र सागर का नया उपन्यास एक सुबह यह भी पिछड़ी जातियों में हो रहे उस घात-प्रतिघात पर रोशनी डालता है, जिसका एकमात्र मकसद सत्ता पाना और हर कीमत पर उसे अपने पास बनाए रखना है।
- शैलेंद्र सागर का कहना है कि “ मुझे याद है कि आज से कई वर्ष पहले राजेन्द्र यादव ने मुझसे कहा था कि कवियों के तो बहुत सम्मलेन होते हैं, तुम कुछ ऐसा करो कि कहानीकारों के भी आयोजन हों.
- तो इस गरिमामय आयोजन से आनंद सागर की बिना कोई चरण-वंदना के आनंद सागर का भी सम्मान स्वयमेव होता ही है, सम्मानित होने वाले लेखक का भी सम्मान होता है, शैलेंद्र सागर और उपस्थित लेखकों का भी सम्मान होता है।
- पूर्व डीजीपी महेश चंद्र द्विवेदी ने इनकी कविताओं की सीधी-सरल भाषा में भाव संप्रेषण की चर्चा की, जबकि पूर्व आईपीएस और कथाक्रम के संपादक शैलेंद्र सागर ने साहित्य के जन सारोकारों तथा जनता से दूर होते जाने की स्थिति पर चिंता व्यक्त की।
- लखनऊ से प्रकाशित त्रैमासिक पत्रिका, कथाक्रम के अप्रैल-जून 2010 अंक में हिन्दी ब्लॉगिंग को मस्तराम की पोर्न भाषा सहित द्वेष, प्रतिस्पर्धा, ईर्ष्या, कुंठा से ग्रस्त तथा नितांत असभ्य, सामाजिक रूप से अमान्य शब्दावली का प्रयोग करते बताते हुए, संपादक शैलेंद्र सागर ने एक संपादकीय लिखा
- ललित कार्तिकेय, रेखा, संजीव, गीतांजलि श्री, अवधेश प्रीत, रतन वर्मा, रघुनंदन त्रिवेदी, विजय प्रताप, सृंजय, आनंद हर्षुल, प्रेमकुमार मणि, जयनंदन, देवेंद्र, प्रियंवद, अमरीक सिंह दीप, शैलेंद्र सागर और भी ऐसे बहुत से नाम हैं जो मुझे तुरंत स्मरण नहीं आ रहे हैं, इन सब की बेहतरीन कहानियों ने साहित्य जगत को अभिभूत कर दिया और इस सब का माधयम बना ' हंस ' ।