ईश्वरप्रणिधान वाक्य
उच्चारण: [ eeshevreprenidhaan ]
उदाहरण वाक्य
- ईश्वरप्रणिधान से (समाधि की सिद्धि शीघ्र होती है)।
- जिसकी प्राप्ति सूफी एकमात्र ' ईश्वरप्रणिधान '
- स्वाध्याय और ईश्वरप्रणिधान, नियमाः-(ये पाँच)
- शौच, संतोष, तप, स्वाध्याय और ईश्वरप्रणिधान, (ये पाँच) नियम हैं।
- इसके लिये आठ योगांगों के दृढ़ व निरंतर अनुष्ठान के साथ ईश्वरप्रणिधान, प्रणवजप आदि आवश्यक साधन हैं।
- अपने आपको और अपने द्वारा कियेजानेवाले कार्यों को सर्वात्मना ईश्वर के लिये अर्पण करदेना ' ईश्वरप्रणिधान ' है।
- साधनपाद के प्रारम्भिक सूत्रों द्वारा आचार्य ने बताया है कि तप, स्वाध्याय, और ईश्वरप्रणिधान क्लेशों को शिथिल करने के लिये सर्वश्रेष्ठ उपाय हैं।
- ईश्वरप्रणिधान = सर्वव्यापक, सर्वज्ञ ईश्वर मुझे देख रहा है यह भावना मन में बनाकर प्रत्येक कार्य को ईश्वर के सामने समर्पित करना और उसका लौकिक फल न चाहना, उपर्युक्त तीन क्रियाएँ योग का साधन
- योग की शुरूआत यम (अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह) और नियम (शौच, संतोष, तप, स्वाध्याय, ईश्वरप्रणिधान) से होती है जो सामान्य जीवन व्यवहार से ही संबंधित है ।
- सत्व गुण का उदाहरण है सत्य बोलना, अहिंसा, चोरी न करना (अस्तेय), संग्रह नहीं करना (अपरिग्रह), ब्रह्मचर्य (वीर्य रक्षा), शौच (बाहर भीतर की शुद्धि), संतोष, तप (ईश्वर के लिए कष्ट सहना), ईश्वरप्रणिधान (ईश्वर की शरणागति लेना).
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