प्रमाणवार्तिक वाक्य
उच्चारण: [ permaanevaaretik ]
उदाहरण वाक्य
- तदनन्तर अपना अगला जीवन उन्होंने वाद-विवाद और प्रमाणवार्तिक आदि सप्त प्रमाणशास्त्रों की रचना में बिताया।
- नैजियो), सद्धर्मपुंडरीक (सं.दत्त), मध्यमकवृत्ति (सं. पूसें), सूत्रालंकार (सं.लेवि), विंशिका एवं तिं्रशिका (सं.लेवि) प्रमाणवार्तिक (सं.नोलि, सं.
- आचार्य धर्मकीर्ति ने प्रमाणवार्तिक में जीवों की चित्तसन्तति को अनादि एवं अनन्त सिद्ध किया है * ।
- इसी परम्परा में शंकरानन्द ने भी प्रमाणवार्तिक पर एक विस्तृत व्याख्या लिखना शुरू किया, किन्तु वह अधूरी रही।
- देवेन्द्र बुद्धि ने प्रमाणवार्तिक की दो बार व्याख्या लिखकर धर्मकीर्ति को दिखाई और दोनों ही बार धर्मकीर्ति ने उसे निरस्त कर दिया।
- आचार्य धर्मकीर्ति की विख्यात किन्तु लुप्त कृति ‘ प्रमाणवार्तिक ' की मूल प्रति यायावर राहुल को तिब्बत में ही मिली थी ।
- इनके अतिरिक्त प्रमाणवार्तिक के ' स्वार्थानुमान परिच्छेद ' की वृत्ति एवं ' सम्बन्धपरीक्षा की टीका ' भी स्वयं धर्मकीर्ति ने लिखी है।
- धर्मकीर्ति द्वारा प्रणीत प्रमाणवार्तिक, प्रमाणविनिश्चय, न्यायबिन्दु, हेतुबिन्दु, सम्बन्धपरीक्षा, सन्तानन्तरसिद्धि और वादन्याय सातों प्रसिद्ध ग्रन्थ प्रमाणसमुच्चय की टीका के रूप में उपनिबद्ध हैं।
- इस श्रेणी के टीकाकारों में प्रमाणवार्तिक के प्रमाणपरिच्छेद का अत्यधिक महत्त्व है, क्योंकि उसमें भगवान बुद्ध की सर्वज्ञता तथा उनके धर्मकाय आदि की सिद्धि की गई है।
- इस व्याख्या में कुमारिल भट्ट, प्रभाकर, धर्मकीर्ति, कादम्बरी, श्रीहर्षदेव, श्लोकवार्तिक, प्रमाणवार्तिक आदि का उल्लेख तथा मण्डन मिश्र और अकलंक के मत का खण्डन उपलब्ध होता है।
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