• achyuta - a name of Vishnu • acyut - Lord Krishna; indestructible • acyuta - Lord Krishna; indestructible |
अच्युत अंग्रेज़ी में
[ acyut ]
अच्युत उदाहरण वाक्यअच्युत मीनिंग इन हिंदी
उदाहरण वाक्य
- Built by Achyuta Raya -LRB- 1530-1542 -RRB- , it is noted for its great size and huge proportions .
अच्युत राय ( 1530-1542 ) द्वारा निर्मित यह मंदिर अपने बड़े आकार और विशाल अनुपातों के लिए ख़्यात है . - The extant three-storeyed brick structure of Sundaravaradaperumal over its stone adhishthana is unique again in having all the three storeys functional with the cellas dedicated to the standing , seated and reclining forms of Vishnu , while the abutting smaller shrines on the three sides of its two lower talas south , west and north , contain the six other principal forms of VishnuSatya , Achyuta , Anirudha , Naranarayana , Narasimha , and Varshathus incorporating the nine forms or navamurtis in accordance with the Vaikhanasa Agama .
सुंदरवरदपेरूमल मंदिर के पाषाण अधिष्ठान पर ईटों से बना वर्तमान त्रितल भवन इस अर्श में विशिष्ट है कि उसके तीनों तल क्रियाशील है जिनमें विष्णु के खड़े हुए , बैठे हुए और लेटे हुए तीनों रूप गर्भगृहों में स्थापित हैं.इसके Zदो निचले तलों की तीन-दक्षिण , पश्चिम और उत्तर दिशाओं में इससे सटे हुए छोटे मंदिरों में विष्णु के छह अन्य प्रमुख रूप-सत्य , अच्युत , अनिरूद्ध , नरनारायण , नृसिंह और वराह स्थापित हैं.इस तरह इसमें वैखानस आगम के अनुरूप नौ रूप या नवमूर्ति सम्मिलित हैं . - The extant three-storeyed brick structure of Sundaravaradaperumal over its stone adhishthana is unique again in having all the three storeys functional with the cellas dedicated to the standing , seated and reclining forms of Vishnu , while the abutting smaller shrines on the three sides of its two lower talas south , west and north , contain the six other principal forms of VishnuSatya , Achyuta , Anirudha , Naranarayana , Narasimha , and Varshathus incorporating the nine forms or navamurtis in accordance with the Vaikhanasa Agama .
सुंदरवरदपेरूमल मंदिर के पाषाण अधिष्ठान पर ईटों से बना वर्तमान त्रितल भवन इस अर्श में विशिष्ट है कि उसके तीनों तल क्रियाशील है जिनमें विष्णु के खड़े हुए , बैठे हुए और लेटे हुए तीनों रूप गर्भगृहों में स्थापित हैं.इसके Zदो निचले तलों की तीन-दक्षिण , पश्चिम और उत्तर दिशाओं में इससे सटे हुए छोटे मंदिरों में विष्णु के छह अन्य प्रमुख रूप-सत्य , अच्युत , अनिरूद्ध , नरनारायण , नृसिंह और वराह स्थापित हैं.इस तरह इसमें वैखानस आगम के अनुरूप नौ रूप या नवमूर्ति सम्मिलित हैं .
परिभाषा
विशेषण- जिसका कभी नाश न हो या सदा बना रहनेवाला:"आत्मा अमर है"
पर्याय: अमर, अक्षय, अनश्वर, शाश्वत, नित्य, अक्षुण्ण, अक्षुण, अक्षर, अनष्ट, अविनाशी, अविनासी, अक्षय्य, अनाश, अनाश्य, अनाशवान, अमरणीय, अनाशी, अयोनि, अरिष्ट, अविनश्वर, विभु, अव्यय, अमृताक्षर, अभंग, अभङ्ग, अभंगुर, अभङ्गुर, अखय, अक्षुण्य, अखै, अनपायी, अनपाय, अविगत, अविहड़, अविहर - जो गिरा हुआ न हो:"अपतित लोग ही श्रद्धा के पात्र होते हैं"
पर्याय: अपतित
- हिन्दुओं के एक प्रमुख देवता जो सृष्टि का पालन करने वाले माने जाते हैं:"राम और कृष्ण विष्णु के ही अवतार हैं"
पर्याय: विष्णु, नारायण, सत्यनारायण, सत्य-नारायण, रमाकांत, रमाकान्त, रमापति, रमानाथ, कमलापति, लक्ष्मीपति, लक्ष्मीकांत, लक्ष्मीकान्त, कमलेश, केशव, माधव, मधुसूदन, वैकुंठनाथ, बैकुंठनाथ, रमारमण, रमाधव, चक्रधर, चक्रपाणि, जगदीश, जगदीश्वर, जनार्दन, त्रिलोकीनाथ, त्रिविक्रम, रमानिवास, रमेश, विश्वंभर, विश्वम्भर, श्रीनिवास, हरि, अंबरीष, इंदिरा_रमण, श्रीरमण, पुंडरीकाक्ष, असुरारि, अनीश, अन्नाद, गरुड़गामी, गरुड़ध्वज, वंश, महेंद्र, महेन्द्र, वासु, श्रीश, अब्धिशय, डाकोर, सहस्रजित्, सहस्रचरण, सहस्रचित्त, शारंगपाणि, शारंगपानि, अक्षर, अब्धिशयन, कमलनयन, कमलनाभि, कमलेश्वर, कैटभारि, खगासन, गजाधर, चक्रेश्वर, जनेश्वर, त्रिलोकेश, दामोदर, देवेश्वर, महाभाग, सुरेश, वारुणीश, व्यंकटेश्वर, शेषशायी, श्रीकांत, श्रीकान्त, श्रीनाथ, श्रीपति, अम्बरीष, सर्वेश्वर, सारंगपाणि, हृषिकेश, हृषीकेश, हिरण्यकेश, वसुधाधर, बाणारि, हिरण्यगर्भ, वीरबाहु, कमलनाभ, पद्मनाभ, पद्म-नाभ, स्वर्णबिंदु, स्वर्णबिन्दु, अमरप्रभु, शतानंद, शतानन्द, धंवी, धन्वी, महाक्ष, महानारायण, महागर्भ, सुप्रसाद, खरारि, खरारी, विश्वधर, विश्वनाभ, विश्वप्रबोध, विश्वबाहु, विश्वगर्भ, विश्वकाय, धातृ, धाम, विधु, रत्ननाभ, जगन्, विभु, दम, सर्व, फणितल्पग, शिखंडी, शिखण्डी, वर्द्धमान, वर्धमान, कुंडली, कुण्डली, जगद्योनि, शुद्धोदनि, देवाधिदेव, चिरंजीव, अमृतवपु, अरविंद_नयन, अरविन्द_नयन, अरुणज्योति, अरुण-ज्योति - यदुवंशी वसुदेव के पुत्र जो विष्णु के मुख्य अवतारों में से एक हैं:"सूरदास कृष्ण के परम भक्त थे"
पर्याय: कृष्ण, श्याम, कन्हैया, कान्हा, किशन, श्रीकृष्ण, नंदलाल, नन्दलाल, केशव, गिरिधर, गोपाल, द्वारिकाधीश, बनवारी, ब्रजबिहारी, माधव, मुरारी, कालियमर्दन, वनमाली, मनमोहन, दामोदर, हरि, गरुड़गामी, वासुदेव, नरनारायण, पीतवास, अहिजित, कंसारि, कमलनयन, कुंजबिहारी, कृष्णचंद्र, गिरिधारी, गोपीश, गोपेश, गोविन्द, गोविंद, गोविन्दा, गोविंदा, घनश्याम, द्वारिकानाथ, द्वारकाधीश, द्वारकानाथ, नंदकिशोर, नन्दकिशोर, मुरलीवाला, मोहन, मुरली_मोहन, योगीश, योगीश्वर, योगेश, योगेश्वर, राधारमण, वंशीधर, विपिन_विहारी, वंशीधारी, बलबीर, शकटारि, बकवैरी, शतानंद, शतानन्द, मंजुकेशी, मधुसूदन, खरारि, खरारी, नंदकुमार, नन्दकुमार, नंदकुँवर, नन्दकुँवर, नंदनंदन, नन्दनन्दन, द्वारकेश, नटराज, मुरलीधर, विश्वपति, पूतनारि, पूतनासूदन, विट्ठलदेव, सोमेश्वर, वृषदर्भ, वृषनाशन, वृष्णि, वृष्णिक-गर्भ, वेदबाहु, तुंगीश, अरिकेशी, रासबिहारी, गिरधर, गिरधारी, मुकुंद, मुकुन्द, शकटहा, नवलकिशोर, कामपाल, वेदाध्यक्ष, शवकृत, गुपाल, सोमेश, यादवेंद्र, यवनारि, यादवेन्द्र, हृषीकेश, शिखंडी, शिखण्डी, अनंतजित्, अनन्तजित्, अनंत-जित्, अनन्त-जित्