अर्थपति का अर्थ
[ arethepti ]
अर्थपति उदाहरण वाक्य
परिभाषा
संज्ञा- किसी देश का प्रधान शासक और स्वामी:"त्रेतायुग में श्रीराम अयोध्या के राजा थे"
पर्याय: राजा, अवनीश, नराधिप, नरेश, नृप, नृपति, भूप, भूपति, महीप, महीपाल, महिपति, अधिपति, अधिप, अधिभू, अधीश, मानवेंद्र, मानवेन्द्र, मानवेश, नरनाह, नृपाल, नरपति, जनेश, नरपाल, प्रजापति, रावल, नरकंत, रसपति, पृथिवीपति, पृथिवीपाल, पृथिवीश, पृथिवीश्वर, भुआल, नरिंद, अवनिपाल, अवनीश्वर, अवनिनाथ, स्कंध, स्कन्ध, राष्ट्रभृत्, मलिक, अविष, नृदेव, नृदेवता, भूमिदेव, भट्टारक, भूमिपति, भूमिपाल, भूमिभुज, भूमिभृत, इंद्र, इन्द्र, ईश, ईश्वर, वरेंद्र, वरेन्द्र, यलधीस, यलनाथ, राजन्य, लोकपाल, दंडधार, दण्डधार - वह व्यक्ति जिसके पास बहुत धन हो:"संसार में धनाढ्य व्यक्तियों की कमी नहीं है"
पर्याय: धनाढ्य व्यक्ति, धनवान, अमीर, धनपति, धनपाल, धनिक, धनी, पैसेवाला, पैसेदार, रईस, मालदार, राजा, धनत्तर, धनधारी, धनकुबेर, धन्नासेठ, ग़नी, धनवन्त, धनवंत, अर्थी, सरदार - यक्षों के राजा जो इंद्र की निधियों के भंडारी माने जाते हैं:"कुबेर संबंध में रावण के भाई थे"
पर्याय: कुबेर, कुवेर, किन्नर राज, यक्षराज, यक्षेंद्र, यक्षेश्वर, द्रुम, एकपिंगल, धनद, धनधारी, अलकेश्वर, एककुंडल, एकनयन, ऐलविल, गुह्यकेश्वर, पर्वेश, रत्नगर्भ, रत्नेश, वित्तेश, धननाथ, वसुप्रद, श्वेतोदर, अर्थद, अलकाधिप, अलकाधिपति, बहुधनेश्वर, श्रीमत्, अलकापति, श्रीमान्, निधिनाथ, निधिप, निधिपति, निधिपाल, नृवाहन, रत्नकर, महासत्व, मनुराज, मनुष्यधर्मा, ईश्वरसख
उदाहरण वाक्य
अधिक: आगे- अर्थपति गहन विषाद में रहने लगे।
- अर्थपति एक विलासी शासक प्रतीत होते हैं , कदाचित व्यसनी।
- उनमें से अर्थपति एक था जिसके 11 पुत्रों में चित्रभानु थे।
- अडेंगा में ‘ श्री अर्थपति राजस्य ' अंकित दो स्वर्ण मुद्रायें भी प्राप्त हुई हैं।
- अर्थपति भटटारक को नन्दिवर्धन छोडना पडा तथा वह नलों की पुरानी राजधानी पुष्करी लौट आया।
- भाट्ट मीमांसकों और वेदांतियों के अनुसार प्रमाण छह हैं , अर्थात उपयुक्त चार तथा अर्थपति व अनुपलब्धि।
- भाट्ट मीमांसकों और वेदांतियों के अनुसार प्रमाण छह हैं , अर्थात उपयुक्त चार तथा अर्थपति व अनुपलब्धि।
- यह इतना शक्तिशाली हमला था कि अंतत : अर्थपति भट्टारक को अपनी राजधानी छोड कर भागना पड़ा।
- यह इतना शक्तिशाली हमला था कि अंतत : अर्थपति भट्टारक को अपनी राजधानी छोड कर भागना पड़ा।
- भवदत्त वर्मन के देहावसान के बाद अर्थपति भट्टारक ( 460 - 475 ई. ) राजसिंहासन पर बैठे।