श्रीमत् का अर्थ
[ sherimet ]
श्रीमत् उदाहरण वाक्य
परिभाषा
संज्ञा- एक प्रसिद्ध बड़ा वृक्ष जो हिंदुओं तथा बौद्धों में बहुत पवित्र माना जाता है:"वह सुबह नहा-धोकर पीपल में जल देता है"
पर्याय: पीपल, पिप्पल, पीपर, क्षीरद्रुम, महाद्रुम, चैत्यक, अश्वश्थ, चैत्यतरु, चैत्यद्रुम, चैत्यवृक्ष, वन्यवृक्ष, नंदकि, नन्दकि, पादचत्वर, शुचिद्रुम, अमृता, महाबला, नागबंधु, नागबन्धु, धर्मवृक्ष, वातरंग, केशवालय, कुंजराशन, कुञ्जराशन, चलपत्र, श्रीमान्, प्रियंगु, प्रियङ्गु, प्रियंगू, प्रियङ्गू, बादरंग, बादरङ्ग, अश्वत्थ, वासुदेव, अद्रिजा, देवावास, प्लक्ष - एक पौधा जिसकी जड़ मसाले के काम आती है:"समय पर सिंचाई न होने के कारण हल्दी सूख गई"
पर्याय: हल्दी, हलदी, हरिद्रा, पीतिका, स्वर्णवर्णा, मंगलप्रदा, मंगला, दीर्घरागा, वर्णविलासिनी, निशाह्वा, निशि, वेधमुख्यक, शिवा, शिफा, यामिनी, तुंगी, शोभा, प्रहर्षणी, वरांगी, त्रियामा, कावेरी, तमस्विनी, श्रीमान्, वरा, हेमघ्ना, हेमरागिनी, हेर, वर्णदात्री, पवित्रा, वरिष्ठा, वर्णवती, पीता - यक्षों के राजा जो इंद्र की निधियों के भंडारी माने जाते हैं:"कुबेर संबंध में रावण के भाई थे"
पर्याय: कुबेर, कुवेर, किन्नर राज, यक्षराज, यक्षेंद्र, यक्षेश्वर, द्रुम, एकपिंगल, धनद, धनधारी, अर्थपति, अलकेश्वर, एककुंडल, एकनयन, ऐलविल, गुह्यकेश्वर, पर्वेश, रत्नगर्भ, रत्नेश, वित्तेश, धननाथ, वसुप्रद, श्वेतोदर, अर्थद, अलकाधिप, अलकाधिपति, बहुधनेश्वर, अलकापति, श्रीमान्, निधिनाथ, निधिप, निधिपति, निधिपाल, नृवाहन, रत्नकर, महासत्व, मनुराज, मनुष्यधर्मा, ईश्वरसख
उदाहरण वाक्य
अधिक: आगे- श्रीमत् राव श्री बहादुरसिंहजी वर्म्मा , मसूदा जिले अजमेर
- इसी तरह श्रीमत् भी श्रीमंत हो जाता है।
- इसी तरह श्रीमत् भी श्रीमंत हो जाता है।
- श्रीमत् शंकराचार्य जैसे महान् मनीषी भी यही कह गये हैं-
- भगवान विष्णु को श्रीमान या श्रीमत् की सज्ञा भी दी जाती है।
- भगवान विष्णु को श्रीमान या श्रीमत् की सज्ञा भी दी जाती है।
- सत्याश्रयकुलतिलक चालुक्याभरण श्रीमत् -जिसके अंत में मल्ल अंतवाली राजा की विशिष्ट उपाधि होती थी।
- श्रीमत् चाक्षुषीपनिषद् यह सभी प्रकार के नेत्ररोगों पर भगवान सूर्यदेव की रामबाण उपासना है।
- “श्री” से बने श्रीमत् का अर्थ हुआ ऐश्वर्यवान , धनवान, प्रतिष्ठित, सुंदर, विष्णु, कुबेर, शिव आदि।
- ऐसा ही प्रसंग लखनौ में श्रीमत् स्वामी चिन्मयानंदजी महाराज के गीताज्ञान यज्ञ में हुआ था ।