धर्मवृक्ष का अर्थ
[ dhermevrikes ]
धर्मवृक्ष उदाहरण वाक्य
परिभाषा
संज्ञा- एक प्रसिद्ध बड़ा वृक्ष जो हिंदुओं तथा बौद्धों में बहुत पवित्र माना जाता है:"वह सुबह नहा-धोकर पीपल में जल देता है"
पर्याय: पीपल, पिप्पल, पीपर, क्षीरद्रुम, महाद्रुम, चैत्यक, अश्वश्थ, चैत्यतरु, चैत्यद्रुम, चैत्यवृक्ष, वन्यवृक्ष, नंदकि, नन्दकि, पादचत्वर, शुचिद्रुम, अमृता, महाबला, नागबंधु, नागबन्धु, वातरंग, केशवालय, कुंजराशन, कुञ्जराशन, चलपत्र, श्रीमत्, श्रीमान्, प्रियंगु, प्रियङ्गु, प्रियंगू, प्रियङ्गू, बादरंग, बादरङ्ग, अश्वत्थ, वासुदेव, अद्रिजा, देवावास, प्लक्ष
उदाहरण वाक्य
अधिक: आगे- गांधी कहते हैं कि विश्व के सभी धर्म एक ही धर्मवृक्ष की शाखाएं हैं।
- वह विष-वृक्ष का फल है जो धर्मवृक्ष में कुछ लोग आरोपित करना चाहते हैं।
- अपितु उनका विचार तो पुरातन शुष्क धर्मवृक्ष को हराभरा करने का ही था ।
- वक्षों में सर्वश्रेष्ठ होने से वृक्षराज , धर्मवृक्ष आदि भी इसके नाम दिये हैं ।
- वक्षों में सर्वश्रेष्ठ होने से वृक्षराज , धर्मवृक्ष आदि भी इसके नाम दिये हैं ।
- महात्मा गांधी जी के इस विचार को बारम्बार उछाला जाता है कि अंतत : सभी धर्म एक ही धर्मवृक्ष की शाखाएं हैं।
- इसलिये धर्मवृक्ष , शुचिद्रुम : , याज्ञिक : , श्रीमान और पवित्रक : आदि अनेक नाम पीपल वृक्ष के निघन्टुवों में दिये गए हैं ।
- हमारी समझ में गुण जो इनमें दोष हो गया उसका यही कारण मालूम होता है कि ये धर्मवृक्ष के मूल को सींचना तो भल गए डाली और पत्तों को सींचने लगे।
- बातें ऐसी करते हैं कि जिससे धर्म का बीज जलकर खाक हो जाए और सूखे हुए धर्मवृक्ष से फलों को प्राप्त करने की अभिलाषा रखते हैं , इसका परिणाम क्या आता है ?