चुग़द का अर्थ
[ chugaed ]
चुग़द उदाहरण वाक्य
परिभाषा
विशेषण- जिसे बुद्धि न हो या बहुत कम हो या जो मूर्खतापूर्ण आचरण करता हो:"मूर्ख लोगों से बहस नहीं करनी चाहिए"
पर्याय: मूर्ख, बेवकूफ़, मूढ़, बुद्धू, जड़, उज़बक, उजबक, भोंदू, गँवार, नासमझ, नादान, अज्ञानी, बुद्धिहीन, बुधंगड़, मूरख, उजड्ड, भुच्च, भुच्चड़, अहमक, अहमक़, बावला, बावरा, पोंगा, अंध, अन्ध, अचतुर, अचेत, अज्ञान, बेसमझ, चूतिया, घनचक्कर, भकुआ, भकुवा, अनसमझ, जाहिल, अपंडित, चंडूल, गावदी, बिलल्ला, मतिहीन, मूढ़ात्मा, मूढ़मति, बेवकूफ, नालायक, ना-लायाक, मुहिर, अबुध, अबुझ, अबूझ, गंवार, अबोध, चभोक, बकलोल, घोंघा, निर्बुद्धि, अयाना, चुगद, माठू, मूसलचंद, मूसलचन्द, मूसरचंद, मूसरचन्द, शीन, बाँगड़ू, मुग्धमति, पामर, अर्भक, अरभक, अल्पबुद्धि, जड़मति, अविचक्षण, अविद, अविद्य, अविद्वान, मूसर, लघुमति, गबरगंड, अविबुध, मंद, मन्द, घामड़, बेअक़्ल, बेअक्ल, बेअक़ल, बेअकल, बोदा, बोद्दा, बोबा
- एक प्रकार का पक्षी जिसे दिन में दिखाई नहीं देता है:"उल्लू रात्रिचर प्राणी है"
पर्याय: उल्लू, उलूक, घुग्घू, घुघुआ, घूघ, पेचा, लक्ष्मी वाहन, रूपनाशन, निशाट, खूसट, घूक, दिवांध, दिवान्ध, दिवस-अंध, दिवाकीर्ति, दिवाभीत, वक्रनासिक, घूघू, निशादर्शी, निशाटन, वृहद्राय, वायसांतक, वायसान्तक, नकतंचर, नक्तञ्चर, नखाशी, रक्तनासिक, शतमख, शतमन्यु, अंध, अन्ध - वह व्यक्ति जिसमें बुद्धि न हो या कम हो:"समाज में मूर्खों की कमी नहीं है"
पर्याय: मूर्ख, बेवकूफ़, लल्लू, गोबर गणेश, गँवार, अनाड़ी, गधा, गदहा, बैल, नादान, मूर्ख व्यक्ति, मूरख, अज्ञानी, उजबक, उज़बक, चूतिया, घनचक्कर, अहमक, अहमक़, उजड्ड, ढक्कन, मड्डी, ढक, अगुणज्ञ, बुद्धू, अजानी, अनारी, चंडूल, मूढ़ात्मा, मूढ़मति, चभोक, बेवकूफ, नासमझ, बकलोल, धोंधा, निर्बुद्धि, घोंघा, धोंडा, धुर्रा, चुगद, मूसलचंद, मूसलचन्द, मूसरचंद, मूसरचन्द, माठू, शीन, अमस, अरस, अल्हड़, अविवेकी, अविचारी, विवेकशून्य, अंधखोपड़ी, अन्धखोपड़ी, अविपश्चित, असयाना
उदाहरण वाक्य
- मुंबई के इस दूसरे प्रवास में उसका एक बहुत महत्वपूर्ण संग्रह “ चुग़द ” प्रकाशित हुआ , जिसमें “ चुग़द ” के अलावा उसका एक बेहद चर्चित अफ़साना “ बाबू गोपीनाथ ” भी शामिल था .
- मुंबई के इस दूसरे प्रवास में उसका एक बहुत महत्वपूर्ण संग्रह “ चुग़द ” प्रकाशित हुआ , जिसमें “ चुग़द ” के अलावा उसका एक बेहद चर्चित अफ़साना “ बाबू गोपीनाथ ” भी शामिल था .
- विष् णु जी … परीक्षाओं में अच् छे अंक तो ले आयेंगे , पर जिंदगी जीने का सही बिंदास अंदाज़ कहां से आएगा , मुझे याद है हमारी कक्षाओं में भी कुछ पढ़ाकू किस् म के चुग़द होते थे ।
- उर्दू प्रगतिशीलों के हाथों ' सियाह हाशिये' की फ़जीहत का दर्द मंटो ने अपने कहानी-संग्रह 'चुग़द' की भूमिका में भी उँड़ेला है-'मेरी किताब 'सियाह हाशिये' तरक़्क़ीपसंदों ने सिर्फ़ इसलिए नापसंद की कि इस पर दीबाचा(भूमिका) हसन असकरी का था-चुनांचे अली सरदार ने हस्बे-मामूल बड़े खुसूस और मुहब्बत के साथ मुझे लिखा: 'यहाँ लाहौर से मेरे पास एक खबर आई है कि तुम्हारी किसी नई किताब पर हसन असकरी मुक़दमा(भूमिका) लिख रहे हैं।
- उर्दू प्रगतिशीलों के हाथों ‘ सियाह हाशिये ' की फ़जीहत का दर्द मंटो ने अपने कहानी-संग्रह ‘ चुग़द ' की भूमिका में भी उँड़ेला है - ‘ मेरी किताब ‘ सियाह हाशिये ' तरक़्क़ीपसंदों ने सिर्फ़ इसलिए नापसंद की कि इस पर दीबाचा ( भूमिका ) हसन असकरी का था - चुनांचे अली सरदार ने हस्बे-मामूल बड़े खुसूस और मुहब्बत के साथ मुझे लिखा : ‘ यहाँ लाहौर से मेरे पास एक खबर आई है कि तुम्हारी किसी नई किताब पर हसन असकरी मुक़दमा ( भूमिका ) लिख रहे हैं।