छोह का अर्थ
[ chhoh ]
छोह उदाहरण वाक्य
परिभाषा
संज्ञा- वह मनोवृत्ति जो किसी को बहुत अच्छा समझकर सदा उसके साथ या पास रहने की प्रेरणा देती है:"प्रेम में स्वार्थ का कोई स्थान नहीं होता"
पर्याय: प्रेम, प्यार, मुहब्बत, इश्क़, इश्क, प्रीति, प्रीत, अनुराग, लगन, अनुरंजन, अनुरञ्जन, राग, उलफत, उलफ़त, उल्फत, उल्फ़त, अभिप्रणय, प्रणव, पनव, उपधान, इखलास, शफक, शफ़क़, शफकत, शफ़क़त, अवन, अविद्वेष, इसक
उदाहरण वाक्य
अधिक: आगे- उसकी लुगाई तो छोह मैं भरी बैठी थी।
- ताऊ का छोह ( गुस्सा) सातवें आसमान पे था.
- हंसी के गेल्या छोह भी तो सै
- सूख गयी जो मान से , और रही बिन छोह ।
- इब ताऊ घसीटे न घंना छोह ( गुस्सा) ठा लिया ....
- बैठी-लड़की का बड़ा छोह करती हो ?
- रामप्यारी छोह मैं भरी खड़ी थी।
- हां भाई , मां हो कि नहीं, तुम न छोह करोगी, तो
- “राउर नेह छोह से भरल शुभकामना से मन मनसायन बा , आभार”
- यहां तक कि एक दिन कह बैठी-लड़की का बड़ा छोह करती हो ?