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द्विरद का अर्थ

[ devired ]
द्विरद उदाहरण वाक्य

परिभाषा

संज्ञा
  1. एक शाकाहारी स्तनपायी चौपाया जो अपने स्थूल और विशाल आकार तथा सूँड़ के कारण सब जानवरों से विलक्षण होता है:"हाथी को गन्ना बहुत ही प्रिय है"
    पर्याय: हाथी, गज, हस्ति, हस्ती, कुंजर, मितंग, गज्जू, करि, नाग, गयंद, गयन्द, अनलपंखचार, फ़ील, फील, वारीट, पिंडपाद, पिण्डपाद, पिंडपाद्य, पिण्डपाद्य, विराणी, दीर्घमारुत, सूचिकाधर, सिंधुर, सिन्धुर, भसुंद, इभ, मतंग, महादंत, वीरमंगल, लतालक, मातंग, स्त्रीध्वज, मतंगज, पील, मत्तकीश, वृहदंग, वेदंड, वेदण्ड, पीलु, शुंडी, द्विप, द्विराप, द्विहन्, रेवाउतन, लंबकर्ण, लम्बकर्ण, सत्रि, करेणु, जलाकांक्ष, कुंजल, कुञ्जल, वरांगी, द्रुमारि, महानाद, शुंडाल, शुण्डाल, अंतःस्वेद, अन्तःस्वेद
  2. धृतराष्ट्र के सौ पुत्रों में से एक:"द्विरद का वर्णन भागवत में मिलता है"

उदाहरण वाक्य

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  1. ( अथवा आप कठोपनिषद्रूपा अभीष्ट विद्या के दाता हैं।) आप द्विरद हैं, कवि हैं और कवियों की बुद्धि के स्वामी हैं; मैं आपको प्रणाम करता हूँ।
  2. ( अथवा आप कठोपनिषद्रूपा अभीष्ट विद्या के दाता हैं।) आप द्विरद हैं, कवि हैं और कवियों की बुद्धि के स्वामी हैं; मैं आपको प्रणाम करता हूँ।
  3. कैसी करालता ! क्या लाघव ! कितना पौरुष ! कैसा प्रहार ! किस गौरव से यह वीर द्विरद कर रहा समर-वन में विहार ! व्यूहों पर व्यूह फटे जाते, संग्राम उजडता जाता है , ऐसी तो नहीं कमल वन में भी कुञ्जर धूम मचाता है .
  4. से तब मुदित , धरणि उच्छवास मिश्रित पवन रम्य शीतल सुखारी जिसे शुण्ड से पान करते द्विरद दल सध्वनि , पालकी ले बढ़ेगा तुम्हारी तुम्हें देवगिरि पास गमनाभिलाषी वहन कर पवन मंद गति से चलेगा कि पा इस तरह सुखद वातावरन को वहां पर सपदि वन्य गूलर पकेगा शब्दार्थ ...
  5. लेकिन मुझे याद आ रहे हैं पंडिज्जी , यानि आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी जी, जिन्होंने व्योमकेश शास्त्री, प्रचंड, रंजन, द्विरद, राधामाधव शाक पार्थिव, अभिनव तुकाराम नामों से लेखन किया और जिनकी रचनाएं चारुचन्द्र का लेखा- 'चारुचन्द्रलेख' है और है 'बाणभट्ट की आत्मकथा', इससे भी आगे 'अनामदास का पोथा', मानों उनका कुछ नहीं।
  6. लेकिन मुझे याद आ रहे हैं पंडिज् जी , यानि आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी , जिन् होंने व् योमकेश शास् त्री , प्रचंड , रंजन , द्विरद , राधामाधव शाक पार्थिव , अभिनव तुकाराम नामों से लेखन किया और जिनकी रचनाएं चारुचन् द्र का लेखा- ' चारुचन् द्रलेख ' है और है ' बाणभट्ट की आत् मकथा ' , इससे भी आगे ' अनामदास का पोथा ' , मानों उनका कुछ नहीं।
  7. लेकिन मुझे याद आ रहे हैं पंडिज् जी , यानि आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी , जिन् होंने व् योमकेश शास् त्री , प्रचंड , रंजन , द्विरद , राधामाधव शाक पार्थिव , अभिनव तुकाराम नामों से लेखन किया और जिनकी रचनाएं चारुचन् द्र का लेखा- ' चारुचन् द्रलेख ' है और है ' बाणभट्ट की आत् मकथा ' , इससे भी आगे ' अनामदास का पोथा ' , मानों उनका कुछ नहीं।


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