भ्रमरा का अर्थ
[ bhermeraa ]
भ्रमरा उदाहरण वाक्य
परिभाषा
संज्ञा- / सूरदास का भ्रमर-गीत भौंरे को माध्यम बना कर लिखा गया है"
पर्याय: भौंरा, भँवरा, भ्रमर, अलिंद, अलिन्द, अली, भृंग, मधुकर, चंचरीक, बिंगी, मधुरसिक, मधुलिह, मधुलोलुप, मधुवामन, मधुव्रत, नीलांगु, मधुसूदन, मधुराज, मलिंद, मलिन्द, पद्मबंधु, पद्मबन्धु, द्विर, द्विरेफ, रेणुवास, अलि, मैलंद, मैलन्द, अलिक, कीलालप, अलिपक, अलिमक, भसन, खटपद, शैलेय, षटपद - एक बड़ा जंगली पेड़:"भ्रमरच्छली के पत्ते बादाम के पत्ते जैसे होते हैं"
पर्याय: भ्रमरच्छली
उदाहरण वाक्य
अधिक: आगे- चंपा कुञ्ज में आज गुंजन करे भ्रमरा -कुहके पापिया
- फुल माँ भ्रमरा , जग माँ रमिता !!
- कबीर के दोहे - भूल्यो मन भ्रमरा तूं कांह . ..
- उत्फुल्लानि विकसितानि कुसुमानि पुष्पाणि यस्मिन्कानने वने तेन षट्पदा इव भ्रमरा यथा ।
- नागों द्वारा स्थापित शिवाल्यों के अवशेष भ्रमरा ( नागौद) बैजनाथ (रीवाँ के पास) कुहरा (अजयगढ़) में अब भी मिलते हैं।
- नागों द्वारा स्थापित शिवाल्यों के अवशेष भ्रमरा ( नागौद) बैजनाथ (रीवाँ के पास) कुहरा (अजयगढ़) में अब भी मिलते हैं।
- नागों द्वारा स्थापित शिवाल्यों के अवशेष भ्रमरा ( नागौद) बैजनाथ (रीवा के पास) कुहरा (अजयगढ़) में अब भी मिलते हैं।
- नागों द्वारा स्थापित शिवाल्यों के अवशेष भ्रमरा ( नागौद) बैजनाथ (रीवा के पास) कुहरा (अजयगढ़) में अब भी मिलते हैं।
- नागों द्वारा स्थापित शिवाल्यों के अवशेष भ्रमरा ( नागौद ) बैजनाथ ( रीवाँ के पास ) कुहरा ( अजयगढ़ ) में अब भी मिलते हैं।
- भृंगी शब्द का अर्थ है , ‘ भ्रमरा ' | भगवान के प्रति प्रेम सदैव ऋषि भृंगी के दिल में गूंजता था , एक दम वैसे जैसे भ्रमर के भुनभुनाने की गुंजन | जैसे एक भंवरा हर फूल पर केवल रस लेने जाता है , वैसे ही ऋषि भृंगी हर व्यक्ति से केवल शिव तत्व एकत्रित करते थे | इतने बड़े भक्त थे वो | पर क्योंकि वो स्त्रियों का आदर नहीं करते थे , भगवान ने उनको सही ज्ञान दिया अपना अर्धनारीश्वर रुप दिखा कर |