रतिराज का अर्थ
[ retiraaj ]
रतिराज उदाहरण वाक्य
परिभाषा
संज्ञा- एक देवता जो काम के रूप माने जाते हैं:"कामदेव को शिव की क्रोधाग्नि का सामना करना पड़ा"
पर्याय: कामदेव, काम देवता, अनंगी, पुष्पायुध, मदन, मनोज, रतिनाथ, अंगहीन, अशरीर, मकर ध्वज, मनमथ, मन्नथ, कंदर्प, अंड, अण्ड, अनंग, अदेह, अनन्यज, पंचबाण, पंचसर, नमुचि, स्मर, सुप्रतीक, मुहिर, अबलासेन, शंबरसूदन, शम्बरसूदन, शंबरारि, शम्बरारि, संकल्पभव, संकल्पयोनि, शुकवाह, शिखि, चैत्रसखा, अंगजात, अपांग, चित्तज, रतिवर, समर, मनसिज, मदराग, मीनकेतु, मीनध्वज, रुद्रारि, शारंग, सारंग, हृदयनिकेतन, झषकेतु, झषांक, रूपास्त्र, भव, मीनकेतन, चेतात्मजा, चेतोजन्मा, सुमसायक, वसंत-बंधु, वसन्त-बन्धु, वसंतसख, वसन्तसख, वसंतसखा, वसन्तसखा, मधुसखा, मधुसहाय, मधुसारथि, मधुसख, मधुसुहृद, निषद्वर, रागरज्जु, रागवृंत, रागवृन्त, रागच्छन, विषमवाण, विषमविखिज, पुष्पपत्री, पुष्पशर, पुष्पशरासन, रतिनाह, इ, रणरणक, वाम, अयुग्मबाण, अयुग्मशर, प्रसूनवाण, शृंगारजन्मा, जराभीस, मनजात, कुसुमकार्मुक, कुसुमचाप, कुसुमेषु, कुसुमधन्वा, कुसुमबाण, कार्ष्णि, कुसुमायुध, श्रीज, श्रीपुत्र, रवीषु, पुष्पचाप, मनोभू, असमवाण, पंचवाण, असमशर, आत्मज, आत्मजात, आत्मप, धानकी, पंचशर, वरीषु, रमण, पुष्पकेतन, पुष्पधन्वा, पुष्पध्वज, पुष्पचाप
उदाहरण वाक्य
अधिक: आगे- रतिराज ने माया फैलाई , प्रकृति के उल्लास में क्रौंच जीवनोल्लास में लीन हो गए ..
- रतिराज ने माया फैलाई , प्रकृति के उल्लास में क्रौंच जीवनोल्लास में लीन हो गए ..
- कविसम्लेन में विनय शुक्ल विनम्र की पंक्तियों को खूब लोगों ने सराहा-संधान सर सुमन का , रतिराज ने जगाया।
- कविसम्लेन में विनय शुक्ल विनम्र की पंक्तियों को खूब लोगों ने सराहा-संधान सर सुमन का , रतिराज ने जगाया।
- कविसम्लेन में विनय शुक्ल विनम्र की पंक्तियों को खूब लोगों ने सराहा- संधान सर सुमन का , रतिराज ने जगाया।
- कविसम्लेन में विनय शुक्ल विनम्र की पंक्तियों को खूब लोगों ने सराहा- संधान सर सुमन का , रतिराज ने जगाया।
- कवि सम्मेलन में विनय शुक्ल ' विनम्र' की पंक्तियों को लोगों ने खूब सराहा-संधान सर सुमन का, रतिराज ने जगाया, उत्सव मनाने उपवन पक्षी समाज आया।
- ‘शिष्यत्व ' में स्पष्ट दिखाई देते हैं दलित छात्र रतिराज चौहान ने यूनिवर्सिटी में टॉप किया तो मिठाई लेकर विभागाध्याक्ष के पास गया , और उनके मार्गदर्शन में शोध करने की इच्छा प्रकट की, लेकिन जाति पूछने पर जब उसने बताया कि वह रैदासी है तो उनका प्रत्युत्तर था कि हमारे अंडर में सम्भव नहीं है सभी स्थान भरे है।
- दलित मेधावी बच्चों के प्रति भी उच्चशिक्षित प्राध्यापकों के दुराग्रह सतीश दुबे की कथा ‘ शिष्यत्व ' में स्पष्ट दिखाई देते हैं दलित छात्र रतिराज चौहान ने यूनिवर्सिटी में टॉप किया तो मिठाई लेकर विभागाध्याक्ष के पास गया , और उनके मार्गदर्शन में शोध करने की इच्छा प्रकट की , लेकिन जाति पूछने पर जब उसने बताया कि वह रैदासी है तो उनका प्रत्युत्तर था कि हमारे अंडर में सम्भव नहीं है सभी स्थान भरे है।