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अनसखरी का अर्थ

[ aneskheri ]
अनसखरी उदाहरण वाक्य

परिभाषा

संज्ञा
  1. एक प्रकार का गंधद्रव्य जो सीप अथवा घोंघे की जाति के एक जन्तु विशेष के ऊपरी मुख के आवरण का ढकना होता है:"नख का आकार नाखून की तरह चंद्राकार या कभी गोलाकार भी होता है"
    पर्याय: नख, नखरी, नागदंती, नागदन्ती, नखी, अंजनकेशी, शार्दूलज, श्रीहस्तिनी, विशालाक्षी, स्वल्पनख, पौर, श्वेतघंटा, श्वेतघण्टा, श्वेतपुष्पा, श्वेत-पुष्पा, व्याघ्रनख, व्याघ्रनखी, व्याघ्रनखक, व्याघ्री, व्याघ्रतला, व्याघ्रदल, व्याघ्रदला, व्याघ्रपुष्प, व्याघ्रायुध, व्याधिखड्ग, व्यालकरज, शंखनख, व्यालखंग, शीतदंतिका, शीतदन्तिका, शुक्लपुष्पी, करभ, नागस्तोफा, नागहनु, वरांगी, शतदंतिका, शतदन्तिका, अश्वखुर, शफ, व्याघ्र-पुष्प, सर्पदंती, सर्पदन्ती, विचक्षणा, व्याड़ायुध
  2. घी में पका हुआ भोजन:"ब्राह्मण भोज के लिए अनसखरी बनाया जा रहा है"

उदाहरण वाक्य

  1. बल्लभाचार्य के समय भगवान को केवल सखरी यानी कच्चा , अनसखरी यानी पक्का तथा दूध से बने और मेवा आदि मिलाकर बनाए गए पदार्थ का भोग लगाया जाता था लेकिन विट्ठलनाथजी ने भिन्न-भिन्न प्रकार के व्यंजनों को मिलाकर भोग का व्यापक स्तर पर विस्तार किया।
  2. बल्लभाचार्य के समय भगवान को केवल सखरी यानी कच्चा , अनसखरी यानी पक्का तथा दूध से बने और मेवा आदि मिलाकर बनाए गए पदार्थ का भोग लगाया जाता था लेकिन विट्ठलनाथजी ने भिन्न-भिन्न प्रकार के व्यंजनों को मिलाकर भोग का व्यापक स्तर पर विस्तार किया।


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