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नागदन्ती का अर्थ

[ naagadenti ]
नागदन्ती उदाहरण वाक्य

परिभाषा

संज्ञा
  1. एक प्रकार का गंधद्रव्य जो सीप अथवा घोंघे की जाति के एक जन्तु विशेष के ऊपरी मुख के आवरण का ढकना होता है:"नख का आकार नाखून की तरह चंद्राकार या कभी गोलाकार भी होता है"
    पर्याय: नख, नखरी, अनसखरी, नागदंती, नखी, अंजनकेशी, शार्दूलज, श्रीहस्तिनी, विशालाक्षी, स्वल्पनख, पौर, श्वेतघंटा, श्वेतघण्टा, श्वेतपुष्पा, श्वेत-पुष्पा, व्याघ्रनख, व्याघ्रनखी, व्याघ्रनखक, व्याघ्री, व्याघ्रतला, व्याघ्रदल, व्याघ्रदला, व्याघ्रपुष्प, व्याघ्रायुध, व्याधिखड्ग, व्यालकरज, शंखनख, व्यालखंग, शीतदंतिका, शीतदन्तिका, शुक्लपुष्पी, करभ, नागस्तोफा, नागहनु, वरांगी, शतदंतिका, शतदन्तिका, अश्वखुर, शफ, व्याघ्र-पुष्प, सर्पदंती, सर्पदन्ती, विचक्षणा, व्याड़ायुध
  2. एक राक्षसी:"नागदंती का वर्णन पुराणों में मिलता है"
    पर्याय: नागदंती

उदाहरण वाक्य

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  1. नागदन्ती की जड़ की छाल 3 से 6 ग्राम सुबह-शाम दालचीनी के साथ लेने से जलन और दर्द दूर होता है।
  2. नागदन्ती की जड़ की छाल 3 से 6 ग्राम सुबह-शाम निर्गुण्डी ( सिनुआर ) और करंज के साथ लेने से आंतों के दर्द में लाभ होता है।
  3. नागदन्ती की जड़ की छाल 3 से 6 ग्राम सुबह-शाम निर्गुण्डी एवं करंज के साथ सेवन करने से हृदय के बाहरी आवरण की सूजन में लाभ होता है।
  4. लगभग 3 से 6 ग्राम नागदन्ती की जड़ की छाल सुबह-शाम सिनुआर के पत्तों के रस और करंज के साथ रोगी को खिलाने से मस्तिष्कावरण शोथ दूर होता है।
  5. 3 . नागदन्ती : लगभग 3 से 6 मिलीलीटर नागदन्ती की जड़ का रस , सिनुआर के पत्तों का रस और करंज का रस मिलाकर सुबह-शाम पीने से रोशनी में आंखों का चौंधियाना बन्द होता है।
  6. 3 . नागदन्ती : लगभग 3 से 6 मिलीलीटर नागदन्ती की जड़ का रस , सिनुआर के पत्तों का रस और करंज का रस मिलाकर सुबह-शाम पीने से रोशनी में आंखों का चौंधियाना बन्द होता है।
  7. 3 . नागदन्ती : लगभग 3 से 6 मिलीलीटर नागदन्ती की जड़ का रस , सिनुआर के पत्तों का रस और करंज का रस मिलाकर सुबह-शाम पीने से रोशनी में आंखों का चौंधियाना बन्द होता है।


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