प्रजिन का अर्थ
[ perjin ]
प्रजिन उदाहरण वाक्य
परिभाषा
संज्ञा- प्रायः सर्वत्र चलता रहने वाला वह तत्व जो सारी पृथ्वी पर व्याप्त है और जिसमें प्राणी साँस लेते हैं:"हवा के अभाव में जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती"
पर्याय: हवा, वायु, पवन, अनिल, मरुत्, पौन, बयार, समीर, बयारि, पवमान, अजिर, अध्यर्ध, वहति, प्राणंत, प्राणन्त, धूलिध्वज, संचारी, सञ्चारी, तलुन, फणिप्रिय, पृषदश्व, तन्यतु, मेघारि, जगद्बल, जगदायु, वृष्णि, शार, शीघ्रग, शीघ्रपाणि, तीव्रगात, मृगवाहन, आकाशचारी, घनवाह, आकाशवायु, आशुग, आशुशुक्षणि, आशर, निघृष्व, धारावनि, विधु, ईरण
उदाहरण वाक्य
- हाँ यह अलग बात है कि किसी प्रजिन का जोरदार झोंका पेरों से अनायाश ही पत्तों को अलग कर दे , लेकिन नियम से तो पत्ते अपना जीवन चक्र पूराकर ही पेरों से अलग होते हैं ..
- मैंने अनगिनत पेड़ो को देखा है - अपने पुराने पत्तो को फेंक कर नए पत्ते धारण करते हुए और अगर गलती से कोई एक ढीठ पत्ता डाली पर बचा भी रह जाता है तो प्रजिन का कोई एक लापरवाह झोंका उसके लिए क़यामत बनकर आता है और उसे उस डाली से नोचकर पेड़ से कहीं दूर फेंक देता है . ... ! फिर कुछ ही समय के अन्दर नए पत्तो के साथ वह पेड़ पुष्पित -पल्लवित होकर और भी निखर आता है !