वहति का अर्थ
[ vheti ]
वहति उदाहरण वाक्य
परिभाषा
संज्ञा- प्रायः सर्वत्र चलता रहने वाला वह तत्व जो सारी पृथ्वी पर व्याप्त है और जिसमें प्राणी साँस लेते हैं:"हवा के अभाव में जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती"
पर्याय: हवा, वायु, पवन, अनिल, मरुत्, पौन, बयार, समीर, बयारि, पवमान, अजिर, अध्यर्ध, प्राणंत, प्राणन्त, धूलिध्वज, संचारी, सञ्चारी, तलुन, फणिप्रिय, पृषदश्व, तन्यतु, मेघारि, जगद्बल, जगदायु, वृष्णि, शार, शीघ्रग, शीघ्रपाणि, तीव्रगात, प्रजिन, मृगवाहन, आकाशचारी, घनवाह, आकाशवायु, आशुग, आशुशुक्षणि, आशर, निघृष्व, धारावनि, विधु, ईरण
उदाहरण वाक्य
अधिक: आगे- घृतं वहति यज्ञार्थ मम पापं व्यपोहतु।।
- नदीषु निर्मलं नीरं वहति परितः स्वयम्।
- घृतं वहति यज्ञार्थे मम पापं व्यपोहतु।
- ऋग्वेद के अनुसार ‘‘ सप्त युञ्जन्ति रथमेक चक्रमेको अश्वो वहति सप्तनाम।
- कालिदास की शिव वंदना या सृष्टि : स्रष्टुराद्या वहति विधिहुतं या हविर्या च होत्री येद्वेकालंविधत: श्रुतिविषयगुणा: प्राणवन्त: या स्थिता व्याप्य विश्वम्।
- हमारे वेदों कहा गया है कि जाया पतिं वहति ( ऋ 10 / 32 / 3 ) पति पत्नी को विवाहती हैं अर्थात विवाह में वरण का अधिकार कन्या का है।
- यस्ते ददाति रवमस्य वरं ददासि , यो वा मदं वहति तस्य दमं विधत्से | इत्यक्षरद्वयविपर्ययकेलिशीलः किं नाम कुर्वति नमो न मनः करोषि || सूत संहिता भी शिव की महिमा का विस्तार से वर्णन करते हुए बताती है कि शिव काल से अपरिच्छिन्न हैं - कालो माया च तत्कार्यं शिवेनैवाSवृतं बुधाः | शिवः कालानवच्छिन्नः कालतत्वं यथा तथा || शिव की देश-काल से परे की स्थिति का वर्णन स्वयं उपनिषद् करते हैं और वही शिव अनन्त मूर्तियों में प्रकट होते हैं।