मरुत् का अर्थ
[ merut ]
मरुत् उदाहरण वाक्य
परिभाषा
संज्ञा- / चैतन्य महापुरुष के शरीर से स्वर्ण जैसी आभा निकलती थी"
पर्याय: सोना, स्वर्ण, कंचन, हेम, कनक, सुवरन, कांचन, सुवर्ण, कञ्चन, काञ्चन, अभ्र, हिरण्य, वरवर्ण, शातकुंभ, शातकुम्भ, शातकौंभ, शातकौम्भ, शुक्र, त्रिनेत्र, चामीकर, पुरुद, ज़र, वर्णि, अर्ह, अवष्टंभ, अवष्टम्भ, श्रीमत्कुंभ, श्रीमत्कुम्भ, रसविरोधक, रंजन, रञ्जन, मनोहर, शतकुंभ, शतकुम्भ, हाटक, शतकौंभ, शतकौंभक, शतकौम्भ, शतकौम्भक, शतखंड, शतखण्ड, भद्र, अश्मकर, अष्टापद, दत्र, आग्नेय, वसु, गारुड़, तामरस, तार्क्ष्य, गोल्ड, अग्नि - प्रायः सर्वत्र चलता रहने वाला वह तत्व जो सारी पृथ्वी पर व्याप्त है और जिसमें प्राणी साँस लेते हैं:"हवा के अभाव में जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती"
पर्याय: हवा, वायु, पवन, अनिल, पौन, बयार, समीर, बयारि, पवमान, अजिर, अध्यर्ध, वहति, प्राणंत, प्राणन्त, धूलिध्वज, संचारी, सञ्चारी, तलुन, फणिप्रिय, पृषदश्व, तन्यतु, मेघारि, जगद्बल, जगदायु, वृष्णि, शार, शीघ्रग, शीघ्रपाणि, तीव्रगात, प्रजिन, मृगवाहन, आकाशचारी, घनवाह, आकाशवायु, आशुग, आशुशुक्षणि, आशर, निघृष्व, धारावनि, विधु, ईरण - हिन्दू धर्मग्रंथों में वर्णित एक देवता जो हवा के अधिपति माने जाते हैं:"वेदों में भी पवनदेव के पूजन का विधान है"
पर्याय: पवनदेव, पवनदेवता, वायुदेव, वायुदेवता, हवा, वायु, पवन, अनिल, मरुत, पवमान, अजिर, अध्यर्ध, जगद्बल, वृष्णि, विधु, दैत्यदेव
उदाहरण वाक्य
अधिक: आगे- सब मरुत् देखने में एक जैसे रहते हैं-
- मरुतो का संघ होता है , अर्थात् मरुत् गणश:
- 1 . मरुत् अपने रथों में घोड़े जोतते हैं।
- 1 . मरुत् अपने रथों में घोड़े जोतते हैं।
- मरुत् मनुष्य थे इस विषय में वेद के वचन देखिए।
- मारुत ( संस्कृत : मरुत् ) का अर्थ हवा है।
- मारुत ( संस्कृत : मरुत् ) का अर्थ हवा है।
- हवा , वायु, पवन, अनिल, मरुत् 13.
- वे मरुत् श्रेष्ठ नहीं , कनिष्ठ नहीं और मध्यम भी नहीं होते।
- शत्रु को जड़ मूल से उखाड़कर फेंकनेवाले मरुत् है ( सुमाया मरुत:)।