दिव्यचक्षु का अर्थ
[ diveycheksu ]
दिव्यचक्षु उदाहरण वाक्य
परिभाषा
संज्ञा- वह जिसके पास दिव्य-दृष्टि हो:"दिव्यचक्षु की भविष्य वाणी शत प्रतिशत सत्य हुई"
पर्याय: दिव्य-चक्षु, दिव्य चक्षु - वृक्षों पर रहने वाला एक चंचल स्तनपायी चौपाया:"भारत में बंदरों की कई जातियाँ पाई जाती हैं"
पर्याय: बंदर, बन्दर, बानर, वानर, कीश, कपि, मर्कट, शाखामृग, तरुमृग, हरि, विटपीमृग, माठू, लांगुली, मर्कटक, पारावत, शालावृक, शाला-वृक, दिव्य-चक्षु, दिव्य चक्षु - दृष्टिदोष दूर करने के लिए आँखों पर पहना जाने वाला लेंस लगा उपकरण:"मेरे चश्मे का नंबर बढ़ गया है"
पर्याय: चश्मा, ऐनक, नज़र का चश्मा, दिव्य-चक्षु, दिव्य चक्षु, उपनेत्र - दृष्टिहीन या नेत्रहीन व्यक्ति:"अंधों के लिए ब्रेल लिपि का आविष्कार हुआ"
पर्याय: अंधा, अन्धा, अंध, अन्ध, अंधरा, अन्धरा, अँधला, सूरदास, दिव्य-चक्षु, दिव्य चक्षु - जटिल परिस्थितियों की स्पष्ट समझ:"अंतर्दृष्टि से सबकुछ स्पष्ट हो जाता है"
पर्याय: अंतर्दृष्टि, अन्तर्दृष्टि, ज्ञानदृष्टि, ज्ञान-दृष्टि, ज्ञानचक्षु, ज्ञान-चक्षु, दिव्य-चक्षु, दिव्य चक्षु, अंतर्चितवन, अन्तर्चितवन - देवताओं की तीसरी आँख:"तीसरी आँख ललाट में होती है"
पर्याय: तीसरी आँख, तृतीय नेत्र, अर्धनयन, अर्द्धनयन, ज्ञानचक्षु, दिव्य-चक्षु, दिव्य चक्षु - एक प्रकार का गंधद्रव्य:"दिव्यचक्षु का प्रयोग अगरबत्ती बनाने में करते हैं"
पर्याय: दिव्य-चक्षु, दिव्य चक्षु
उदाहरण वाक्य
अधिक: आगे- उन्होंने दिव्यचक्षु से उनका दर्शन कराया था।
- लेकिन आरा लौटकर मित्रों ने इस घटना के बारे में बताया तो इससे हमारे कुछ दिव्यचक्षु भी खुले।
- लेकिन आरा लौटकर मित्रों ने इस घटना के बारे में बताया तो इससे हमारे कुछ दिव्यचक्षु भी खुले।
- लेकिन आरा लौटकर मित्रों ने इस घटना के बारे में बताया तो इससे हमारे कुछ दिव्यचक्षु भी खुले।
- कौन से बढ़िया वाले लेंस ' दिव्यं ददामि ते चक्षुः ' तुझे अपनी आँखों में दिव्यचक्षु को फिट करना पड़ेगा।
- बोधिसत्त्व ने दिव्यचक्षु से समस्त , लोकधातु को देखा और जाना कि शील , समाधि और प्रज्ञा में मेरे तुल्य कोई अन्य सत्त्व नहीं है।
- राष्ट्रीय आंदोलन से संबंद्ध इनके दो उपन्यास ‘ दिव्यचक्षु ' और ‘ भारेला अग्नि ' तथा भारतीय ग्रामीण जीवन की समस्याओं से संबंद्ध , चार भागों में प्रकाशित महती कृति ‘ ग्रामलक्ष्मीकोण ' ने काफी ख्याति प्राप्त की है।
- जो पुरुष विवेकान्ध ( विवेकरूपी नेत्रों से हीन ) है वह जन्मान्ध है , उस दुर्मति के लिए सब शोक करते हैं , जिस पुरुष को विवेक आत्मा की नाईं प्रिय है , वह दिव्यचक्षु है वह सम्पूर्ण वस्तुओं में श्रेष्ठ है , अर्थात् वह आपत्तियों पर विजय पाता है अथवा परम पुरूषार्थ मोक्ष को प्राप्त करता है।।